बाबूजी बोले,
बेटा जीवन में पेड़ की तरह बने रहना.
हर मुसीबत में तने रहना।
बेटा बोला,
पेड़ तो हम बन जायेंगे पर जीने के लिए
धूप और हवा कहाँ से लायेंगे?
बिल्डिंग और मोटरों से स्थान इतना कम हो गया
कि मेरा खड़ा रहना भी एक ग़म हो गया।
गाँव में जितना जानवरों से हमें डर नहीं था,
उससे कहीं ज़्यादा यहाँ इन्सानों से डर है।
कब कौन किधर से आएगा,
हमें मारकर,,
हमारी कब्र पर डेवलपमेंट का बोर्ड लगा जायेगा।