कोयला मीना चोपड़ा
कुछ जला सा कुछ बुझा सा कच्चा कोयला।
गर्मी उतरती है हाथों से घरों की ठंडी दीवारों में छिपे ठंडे जिस्मों को जगाने के लिये।
चली जाती है निडर सी कई सुरंगों में।
जला था जो वह कच्चा तो नहीं था!