अन्तरजाल पर साहित्य प्रेमियों की विश्राम स्थली ISSN 2292-9754
मुख पृष्ठ 07.24.2016
चाचू, मुझको टिफ़िन मँगा दो बैग और कपड़ा सिलवा दो। हम भी पढ़ने जाएँगे मास्टर जी से बतियायेंगे। मास्टर जी से नहीं डरेंगे उनसे हम सब खूब पढ़ेंगे।
दीदी के संग हम भी, अब तो रोज़ सवेरे जाएँगे। पापा जी की प्यारी बिटिया हम भी अब बन जाएँगे। खूब लिखेंगे, खूब पढ़ेंगे कभी किसी से नहीं डरेंगे।