अन्तरजाल पर साहित्य प्रेमियों की विश्राम स्थली ISSN 2292-9754
मुख पृष्ठ 07.19.2014
रंग रंग के फूल खिले छटा अद्भुत अनुपम मधुमास मनाता भँवरा भी इठलाये कली-कली हरदम
तितलियों के रंग लिए फूलों की मंद सुगंध लिए मतवाले अरमान जगे दिल में इक उमंग लिए
चहक उठी धरा चहुँ ओर संगीतमय मंद समीर बहा उठ जाग मानव भोर हुई संग ले गुलाल अबीर यहाँ
सरस्वती बरसाए वरदान नदियों ने कल-कल गीत गाया कोयल का पंचम सुर पहचान ऋतुराज बसंत है आया !!!