घट का आकाश अपनी सारी शक्ति लगा कर चिल्लाया मैं अकेला हुआ अकेला ही रहूँगा मेरा अस्तित्व अपना है
तभी एक ठोकर लगी घट का आकाश बिखर गया बह गया जिसका अंश था उसी में मिल गया