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06.16.2007 |
“परियों
के देश में” अन्तरा करवड़े |
पहली मार्च से आठ तारीख तक इन्टरनैशनल विमन डे मनाया गया। इसी सन्दर्भ में आकाशवाणी इन्दौर (म.प्र.) से एक धारावाहिक का प्रसारण हुआ जिसकी लेखिका श्रीमती अन्तरा करवड़े थीं। इस धारावाहिक का शीर्षक था “परियोंके देश में” और इसका विषय था मादा भ्रूण हत्या। अन्तरा करवड़े की कल्पना में प्रत्येक वह नन्हीं लड़की जिसको मार दिया जाता है वह एक परी बन कर परियों के देश में अपना स्थान बना लेती है। इस धारावाहिक के अन्तरा करवड़े द्वारा रचित गीत आपकी सेवा में प्रस्तुत हैं। शीर्षक गीत : धारावाहिक “परियों के देश में” नील गगन से परे की दुनिया बनी सितारा, टूट गया जो खुश है परियाँ बिटिया जन्मी है जा बिटिया तुझे नया घर क्या जा बिटिया तुझे बस एक माँ नहीं कभी तो सोचो! कि बिटिया भी ज़िंदा है यहाँ रोती है जो माँ धरती पर जाने कितने देह धरूँ मैं हाँ मै ज़िन्दा हूँ यहाँ पर क्यों अपना ये प्रेम तुम्हें? |
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