
संपादकीय - भारतीय संस्कृति तो अब केवल दक्षिण भारतीय सिनेमा में ही बचेगी
साहित्य कुञ्ज के इस अंक में
कहानियाँ
अनुत्तरित प्रश्न
रात गहरी नींद में नीता के शरीर पर अचानक ही अनमोल का एक हाथ ज़ोर से आकर गिरा तो वह घबरा कर उठ बैठी। मुश्किल से घंटा डेढ़ घंटा पहले उसको नींद आई होगी। वह कुछ पल को तो आगे पढ़ें
अस्सी घाट की वो मेरी आख़िरी शाम
उस शाम हम मिल रहे थे, उस को आना था, लेकिन वो नहीं आयी, ऐसा पहली बार हुआ था। गंगा की आरती भी समाप्त हो गई थी, मैं देर तक बैठा रहा और सोचता रहा। कईं बार कोशिशों के आगे पढ़ें
चकाचौंध के पीछे
गोल्डन ब्लिस क्लब का हॉल रोशनी से नहा रहा था। झूमर की चमक, सिल्क की साड़ियाँ, इत्र की महक, और चाय-कॉफी के साथ फैली हँसी—यह किसी हाई-फ़ाई किट्टी पार्टी का परफ़ेक्ट सेटअप था। मिसेज़ रागिनी वर्मा ने अपनी आदतन आगे पढ़ें
धूल छँट गई
मणिकर्णिका घाट! सामने जलती हुई एक ताज़ी चिता। सीढ़ियों पर बैठे चंद लोग। उनमें वह भी . . . निशांत! . . . निराश! हताश! उसके हाथ में एक शहनाई है। वह शहनाई को सीने से लगाए अजब असमंजस आगे पढ़ें
भरत चले राम को मनाने
राम के वनवास की बात सुनते ही अयोध्या में उदासी छा गई। प्रजा तो दुखी थी ही, पेड़-पौधों तक की शक्ल ऐसी हो गई, जैसे रो रहे हों। गलियाँ, सड़कें, रास्ते की धूल और पत्थर भी रो रहे थे। आगे पढ़ें
मंत्रित महल
मूल कहानी: इल् पलाज़ो इनकैनटाटो; चयन एवं पुनर्कथन: इतालो कैल्विनो; अंग्रेज़ी में अनूदित: जॉर्ज मार्टिन (द एंचांटेड पैलेस); पुस्तक का नाम: इटालियन फ़ोकटेल्स; हिन्दी में अनुवाद: ‘मंत्रित महल’ बहुत पुराने समय की बात है, एक राजा का एक बेटा आगे पढ़ें
मुहल्लेदार
इंदुबाला का समस्त जीवन मेरी आँखों के सामने बीता था। उसकी आकस्मिक मृत्यु भी मैंने प्रत्यक्ष देखी थी। उन्नीस सौ पचपन के आसपास जब उस का जन्म हुआ तो मैं पाँचवीं कक्षा में पढ़ता था। उस दिन जब मैं आगे पढ़ें
सरकारी पेंशन
गाँव का नाम था खरगपुर। कच्ची गलियाँ, नालियों से रिसती बदबूदार पानी की धार, और गलियों के नुक्कड़ पर मिट्टी के चबूतरे पर जमती चौपाल—जहाँ सुबह की चाय से लेकर शाम की राजनीति तक हर बात का नमक-मिर्च के आगे पढ़ें
हाथों का सहारा
सर्दियों की वह ठिठुरती सुबह थी, जब सूरज अपनी सुनहरी किरणों से धरती को हल्के से छू रहा था। उसी पल दीवांकर नाथ और शर्मिला देवी के आँगन में एक नवजात की किलकारी गूँजी। पूरा घर जैसे जीवन और आगे पढ़ें
हास्य/व्यंग्य
कॉमेडी एक रिटायरी से
पता नहीं कोई भी समझता क्यों नहीं भाई साहब! रिटायर्ड हूँ, पर क्लास वन हूँ। जुमा-जुमा आठ दिन ही तो हए हैं रिटायर हुए अभी। जो मेरे महल्ले के कुत्ते मेरे पद पर रहते वक़्त आँखें मूँद कर भी, आगे पढ़ें
नेताजी भावुक हुए
इस बार ‘सबका साथ सबका विकास’ के ऐतिहासिक प्रोजेक्ट में नेताजी ने वन्य जंतुओं की चिंताओं को भी शामिल किया। वे वन्य समाज के आख़िरी छोर पे खड़े जंतुओं को भी मुख्यधारा में घसीटना चाहते थे। उन्होंने वाइल्ड लाइफ़ आगे पढ़ें
नोटों का कार्य जलना नहीं जलाना है!
दिल्ली में एक न्यायधीश महोदय के बँगले में आग लगने पर फ़ायर ब्रिगेड को बुलाया गया। जब इसने आग पर क़ाबू पाया तो कई बोरियों में अधजले नोट पाए गए। जज साहब का कहना है कि हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार आगे पढ़ें

प्रसाद की आर ओ आई
आस्था में मिलावट कोई नई बात नहीं है, जनाब। हाल ही में तिरुपति बालाजी मंदिर के लड्डुओं में मिलावट को लेकर जो बवाल मचा, उसने एक बार फिर श्रद्धा और भावना की थाली में संदेह का रायता फैला दिया। लेकिन आगे पढ़ें
लेखक का संन्यास
लेखन से संन्यास लेने की घोषणा करते ही विरोधियों के नये पंख लग गये। कई ने तो मिठाई बाँट दी। कई ने हनुमान जी को सवा किलो लड्डू चढ़ाने की बात की। अपार ख़ुशी व्यक्त करते हुए एक वरिष्ठ आगे पढ़ें
आलेख
प्रेमचंद: साहित्य के यथार्थ के प्रवक्ता और समकालीन चेतना के वाहक
शोधकर्ता: अमरेश सिंह भदौरिया (प्रवक्ता हिन्दी) संस्था: त्रिवेणी काशी इंटर कॉलेज, बिहार, उन्नाव वर्ष: 2025 1. भूमिका जब हम यह स्वीकार करते हैं कि साहित्य समाज का दर्पण है, तब यह विचार अपने आप में एक प्रश्न भी बन जाता आगे पढ़ें
बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर: समता, न्याय और नवजागरण के प्रतीक
(विशेष आलेख-सुशील शर्मा) भारतीय समाज की ऐतिहासिक यात्रा में कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं जो समय की रेखाओं को मोड़कर नया इतिहास रचते हैं। डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर का जीवन एक ऐसी ही प्रेरक गाथा है, जो न केवल आगे पढ़ें
मानस में राम जानकी प्रेम प्रसंग
अक्सर प्रश्न उठता है कि प्यार क्या है? मेरे विचार से किसी के प्रति सहसा मनसा, वाचा, कर्मणा अनुरक्त होना ही प्रेम है। कबीर दास जी ने लिखा कि: प्रेम न बाड़ी उपजे, प्रेम न हाट बिकाये। राजा परजा आगे पढ़ें
मेरी जिज्ञासा
ऐसा माना जाता है कि मनुष्य के विकास के लिए जिज्ञासा और तर्कशक्ति अत्यंत आवश्यक है। बच्चों में यह जिज्ञासा बहुत अधिक होती है, जो आयु के साथ कम होती जाती है क्योंकि धीरे-धीरे उसका संसार से परिचय विस्तृत, आगे पढ़ें
रामनवमी: मर्यादा, धर्म और आत्मबोध का पर्व
रामनवमी केवल एक उत्सव नहीं, अपितु आत्मबोध और सामाजिक चेतना का जागरण है। यह दिवस बाह्य आडंबर से परे, अंतःकरण में निहित दिव्यता को जागृत करने का अवसर है। श्रीराम केवल इतिहास के पृष्ठों में अंकित एक चरित्र नहीं, आगे पढ़ें
वर्तमान समय में हनुमान जी की प्रासंगिकता
(हनुमान जयंती पर विशेष) आज का युग विज्ञान और तकनीक की अभूतपूर्व प्रगति का समय है, परंतु इसके साथ ही यह युग चिंता, भय, असुरक्षा, भटकाव और मानसिक तनाव का भी युग बन गया है। भौतिक उपलब्धियों की भरमार आगे पढ़ें
समकालीन साहित्य: मार्क्सवाद, दलित विमर्श और आगे की राह
समकालीन साहित्य को विविध विमर्शों का साहित्य कहा जाता है। स्टेफेन स्पेंडर के अनुसार—“The contemporary belongs to the modern world, represents।t।n his works and accepts historical forces moving through।t.” अर्थात् साहित्य के सन्दर्भ में समकालीनता का सम्बन्ध आधुनिक संसार और आगे पढ़ें
समीक्षा

गर्व से कहिए—यस बॉस
पुस्तक का नाम: यस बॉस (निबन्ध संकलन) लेखक: सोमा वीरप्पन (मूल पुस्तक अंग्रेज़ी में-द आर्ट ऑफ़ जॉगिंग विद योर बॉस) अनुवाद: रोहित शर्मा प्रकाशन वर्ष: 2025 प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन प्रा. लि. 4/19। आसफ अली रोड, नई दिल्ली मूल्य: ₹350/ ISBN: आगे पढ़ें
संस्मरण
रचनाओं का छपना ऐसे शुरू हुआ
हमारे बेटे को तबला सीखने का बहुत मन था। तब उसकी उमर कोई ६-७ साल की होगी। हमने आदरणीय मिश्र जी से, जो संकट मोचन के महंत और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफ़ेसर थे, से आगे पढ़ें

वह अलबेला साथी
अक्सर यादों के परिंदे उस समय अपने पंख अधिक फड़फड़ाने लगते हैं जब कोई साथी/परिचित/सगा-संबंधी साथ छोड़कर समय की अँधेरी सुरंग में समा जाता है, जहाँ से न तो उसकी वापसी की कोई उम्मीद बँधती है, न हमारे ये आगे पढ़ें
साहित्य में चौर्यकर्म
(पिछले अंक में आदरणीय डॉ. सत्यवान सौरभ का साहित्य-आलेख ‘प्रसिद्धि की बैसाखी बनता साहित्य में चौर्यकर्म’ पढ़ते ही उससे प्रभावित हो मैंने टिप्पणी दी थी। और अब उसी से जुड़ी यह आप-बीती साहित्य-कुञ्ज के पाठकों के साथ साझा करने आगे पढ़ें
कविताएँ
शायरी
समाचार
साहित्य जगत - विदेश

24 वाँ अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन नेपाल
भाषा जितना विस्तारित, समृद्धि उतनी ही नेपाली और हिंदी की जननी एक ही संस्कृत हिंदी को मान्यता देने से…
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वरिष्ठ भारतीय भाषाविदों का सम्मान समारोह संपन्न
उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद स्थित लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र में गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025 को दोपहर 3…
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इक्कीसवीं सदी का साहित्य विषयक एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी..
इक्कीसवीं सदी का साहित्य चुनौतीपूर्ण साहित्य है: प्रो. आर एस सर्राजु मातृभाषा ही वह माध्यम है जो हमें साहित्य की…
आगे पढ़ेंसाहित्य जगत - भारत

साठोत्तर काव्य आंदोलन में संघर्ष मूलक काव्य की प्रवृत्तियाँ—संगोष्ठी..
युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच (पंजीकृत न्यास) आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्य शाखा की वर्चुअल अट्ठारहवीं संगोष्ठी 26 जनवरी-2025 (रविवार) 4…
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ग्रहण काल एवं अन्य कविताएँ का विमोचन संपन्न
उद्वेलन एवं संवेदनाओं की कविताएँ: प्रो. बी.एल. आच्छा सरल शब्दों में गहन विषयों को व्यक्त करना आसान नहीं: गोविंदराजन…
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काव्यांजलि: महिला क्रिश्चियन कॉलेज में भारतीय भाषा दिवस..
महिला क्रिश्चियन कॉलेज ने हाल ही में भारतीय भाषा दिवस मनाया, जो प्रसिद्ध तमिल कवि और स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमणिय…
आगे पढ़ेंसाहित्य जगत - भारत

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की रजत जयंती समारोह 2025
हमारी संस्कृति, परंपरा और पहचान का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है मातृभाषा: प्रो. पी. राधिका चेन्नई, 21 फरवरी, 2025। “मातृभाषा…
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‘क से कविता’ में अतिथि कवि डॉ. विनय कुमार से संवाद संपन्न
हैदराबाद, 24 जनवरी, 2025। मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद के दूरस्थ शिक्षा केंद्र की लाइब्रेरी में ‘क से…
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डॉ. अमित धर्मसिंह के काव्य संग्रह कूड़ी के गुलाब का हुआ लोकार्पण
नव दलित लेखक संघ, दिल्ली के तत्वावधान में लोकार्पण एवं काव्यपाठ गोष्ठी का आयोजन हुआ। गोष्ठी दो चरणों में…
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